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शनिवार, 28 जून 2025

प्रेम

 


प्रेम 

जो तुमसे कहा न जा सके

और

मुझसे लिखा न जा सके।

केवल

अभिव्यक्त हो

तुम्हारी आंखों में

मेरे

व्यवहार में।

केवल

महसूस हो 

तुम्हारे और मेरे भाव 

की डोर में।

तुम्हारे

और 

मेरे बीच

प्रेम ही तो है

जो 

कुछ नहीं चाहता 

केवल 

बीतते हुए 

कुछ समय में से

दो बातें

और 

दो पल।

ये प्रेम ही तो है

वाकई।

बुधवार, 25 जून 2025

नेह से उकेरा गया महावर है प्रेम



 प्रेम 

तुम्हारे चेहरे पर

मुझे देखकर

आने वाली मुस्कान ही तो है।

प्रेम 

तुम्हें छूते ही 

गहरे तक आंखों में सुर्खी का घुल जाना 

प्रेम ही तो है।

प्रेम 

तुम्हें बार-बार दरवाजे तक लाता है

मेरे इंतजार में

और मुझे

हर रात कई बार 

तुम्हें गहरी नींद में सोए देखने

और देखकर

आनंद पाने को जगाता है।

प्रेम

तुम्हारे शरीर में आत्मा 

और भाव का स्पंदन है

और

मेरे शरीर में 

तुम्हारे हर पल होने का शास्वत सत्य।

सच 

प्रेम परिभाषित नहीं हो सकता 

क्योंकि

वह 

जिंदगी पर नेह से

उकेरा गया 

महावर है

जिसका अर्थ

एक स्त्री से अधिक कोई नहीं समझ सकता। 






Thanks for photograp google

 

शनिवार, 30 जुलाई 2022

हमारे प्रेम अनुबंध के दस्तावेज


कोई गंध 
तुम्हें और मुझे 
खींचती है
कोई श्वेत गंध। 
तुम्हें 
मुझसे गुजरने को 
बेताब करता 
यह 
श्वेत वक्त। 
ये जो 
पत्ते हैं 
यह तुम्हारे हमारे 
प्रेम अनुबंध के 
दस्तावेज हैं। 
यह उम्र के पैर की भांति
पदचिह्न नहीं छोड़ते
यह 
बस अंकित हैं
तुममें 
और 
मुझमें
एक इबारत बनकर। 
मैं तुम्हें 
यह पूरा श्वेत सच 
देना चाहता हूँ
ताकि 
हम सहेज सकें 
गढ़ सकें
भविष्य। 
मैं तुममें 
और 
यकीनन तुम 
मुझमें
महकते हैं 
एक सदी का सच होकर। 
देखना एक दिन
यह पत्ते 
हमारी डायरी के पन्नों में
हमारी उम्र 
हमारी खुशियों के 
हस्ताक्षर होंगे।


 

गुरुवार, 25 मार्च 2021

तुम क्यों खोजते हो प्रेम को


 

तुम खोजते हो

प्रेम का अंश बिंदु।

तुम खोजते हो

प्रेम।

तुम खोजते हो।

प्रेम का पर्याय।

तुंम खोजते हो

प्रेम में कोई चेहरा।

तुम खोजते हो

प्रेम में कोई उम्र।

तुम खोजते हो

प्रेम में एक शरीर।

तुम खोजते हो

प्रेम में एक बाजार।

तुम खोजते हो

प्रेममें एक अपंग बहाना।

तुम खोजते हो

प्रेम का शहद और मिठास।

तुम खोजते हो

प्रेम के बीच कहीं कोई रसीला रिश्ता।

तुम खोजते हो

प्रेम और प्रेम की पीठ पर

सवार

कोई उसी तरह की दूसरी जिद।

तुम कितना कुछ खोजते हो

प्रेम में

प्रेम के लिए

प्रेम तक पहुंचने के लिए

प्रेम को पाने के लिए।

तुम नहीं खोजना चाहते

प्रेम का सच

प्रेम का उम्रदराज चेहरा

प्रेम का सूखा शरीर

्प्रेम का झुर्रीदार चेहरा

प्रेम में सवाल

प्रेम का ढलना

प्रेम का मुरझा जाना

प्रेम का बुजुर्ग होना

प्रेम का थका सा चेहरा।

तुम क्यों खोजते हो

प्रेम को

प्रेम

खोजा नहीं जा सकता

वो

है तो उपजेगा

और

तुम्हें

अंकुरित भी करेगा

और यदि

प्रेम नहीं है

तब तुम सूखे जंगल

की

एक तपती शिला हो

जिस पर

रिश्ते की कोई नमी

प्रेम की तासीर 

नहीं बन पाएगी।

रिश्तों का सूख जाना

प्रेम का सूख जाना नहीं है

प्रेम का सूख जाना

रिश्तों का अंत है।

फांस

 शब्द और उसकी कोरों के बीच भाव कहीं उलझे रह जाते हैं अक्सर। एक उम्र तक एक सदी तक। कोई नहीं सुलझाता उन्हें कोई नहीं खोलना चाहता  उन उलझी गांठ...