नहीं जानता
तुम
कैसे सो पाते हो
चैन से
उस रात
जब पेड़ का एक बाजू
काट दिया जाता है
और
तुम तक
आवाज़ नहीं पहुंचती।
नहीं जानता
तुम
कैसे मुस्कुरा पाते हो
किसी
कटे जंगल
में
सूखे पेड़ों के
आधे अधूरे
जिस्मों के बीच।
नहीं जानता
तुम्हें
पेड़ का कटना
सदी
पर प्रहार क्यों नहीं लगता।
नहीं जानता
पेड़ों के समाज
में
अब
आदमी का
प्रवेश
निषिद्ध है
और हम बेपरवाह।
मैं
इतना जानता हूँ
कटे
पेड़
के शरीरों वाला जंगल
हमारे समाज की
आखिर सीमा है।
मैं
इतना जानता हूँ
बिना
पेड़ों वाली सुबह
हो नहीं सकती।