Followers

Showing posts with label #पेड़ # मानवीय चेहरा. Show all posts
Showing posts with label #पेड़ # मानवीय चेहरा. Show all posts

Saturday, February 20, 2021

जला हुआ पेड़

जब भी कोई

पेड़ 

जलता है

तो केवल

उसका शरीर नहीं झुलसता

साथ झुलसते हैं

संस्कार

जीवन

उम्मीद

और भरोसा।

जले हुए

पेड़ के जिस्म की गंध

एक 

सदी के विचारों के 

धुआं हो जाने जैसी है।

जले हुए पेड़

में

बाकी रह जाता है

झुलसा सा मानवीय चेहरा

झुलसी हुई सदी

और 

उसके बगल से झांकती

सहमी सी प्रकृति।

झुलसने और झुलसाने के बीच

कहीं बीच

खड़ा है

आदमी का आदमखोर जंगल

और 

विचारों के लिबास में

आधी झुलसी 

सभ्यता...।

कागज की नाव

कागज की नाव इस बार रखी ही रह गई किताब के पन्नों के भीतर अबकी बारिश की जगह बादल आए और आ गई अंजाने ही आंधी। बच्चे ने नाव सहेजकर रख दी उस पर अग...