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मंगलवार, 23 मार्च 2021

सच बोनसाई पौधा है


 

चेहरे 

और 

चेहरों की 

भीड़

के बीच

सच 

आदमी 

की 

आदत

नहीं रहा अब।

सच

केवल

घर के 

आंगन 

में बोया जाने वाला

बोनसाई

पौधा है

जो 

बाहरी खूबसूरती का 

चेहरा है।

बोनसाई

हो जाना

सच की नहीं

आदमी के

सख्त मुखौटे

की मोटी सी दरार है।

सच

दरारों में 

ही पनपता है

अनचाहे पीपल की तरह...।

अभिव्यक्ति

 प्रेम  वहां नहीं होता जहां दो शरीर होते हैं। प्रेम वहां होता है जब शरीर मन के साथ होते हैं। प्रेम का अंकुरण मन की धरती पर होता है।  शरीर  क...