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Friday, March 5, 2021

आसमान की श्वेत काया


आसमान की 

सतरंगी काया

श्वेत बादलों के उत्सव

का हिस्सा है।

बादलों पर

उत्सव में

सबकुछ साफ नज़र नहीं आता।

बादलों में

बिना

दीवारों के घर हैं।

घरों में

खिड़कियां भी

और उनसे

झांकते

हमारे अपने जो

आसमान की श्वेत काया हो गए।

वे देखते हैं हमें

हमारी नेकी पर 

खुश होते 

और

बुरे बर्ताव पर खिन्न।

नज़र नहीं आते

वे

बादलों के उत्सव का 

हिस्सा होते हैं।

वो जो आसमान पर

रंग देख रहे हो न

वो 

उन शांत और बेकाया 

लोगों 

को 

अपनों से मिलवाने का 

तरीका है।

खैर

बादलों की कालोनी

के 

घर

अब भी महकते है

अपनेपन की खुशबू से...।


ये हमारी जिद...?

  सुना है  गिद्व खत्म हो रहे हैं गौरेया घट रही हैं कौवे नहीं हैं सोचता हूं पानी नहीं है जंगल नहीं है बारिश नहीं है मकानों के जंगल हैं  तापमा...