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गुरुवार, 2 सितंबर 2021

हम और तुम


 











मैं 

तुम्हें 

इसी तरह देखता हूँ

मैं

तुम्हें 

प्रकृति में पानी की 

उम्मीद की तरह देखता हूँ।

हम और तुम 

क्या हैं

कुछ भी तो नहीं

केवल

उम्मीद की

बूंदों पर 

उम्र रखकर

जी जाते हैं

अपने आप को।


फोटोग्राफ भी मेरा ही है... फोटोग्राफ देख यह कविता सृजित हो गई...।





अभिव्यक्ति

 प्रेम  वहां नहीं होता जहां दो शरीर होते हैं। प्रेम वहां होता है जब शरीर मन के साथ होते हैं। प्रेम का अंकुरण मन की धरती पर होता है।  शरीर  क...