कोई दुनिया है
जो बहुत शांत है
अकेली है
अपने से बतियाती है
वहां कोई कर्कश शोर नहीं है।
एक दुनिया है
जहां शोर ही शोर है
जो न बतियाती है
और
न ही
जीने देती है।
यह शोर और कर्कश भरी दुनिया
हमने बुनी है
अपने लिए
अपने समय को इस कर्कशता के सांचे में ढालकर।
यकीन मानिए
वह पहली दुनिया
जंगल है
दूसरी हमारी
और तीसरी कोई दुनिया नहीं है।