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Friday, June 18, 2021

वो छांव कहां से लाऊं










 जो मुस्कान बिखेरे

वो शब्द कहां से लाऊं।

जो तुम्हें बचपन दे दे

वो हालात कहां से लाऊं।

सख्त हो चली है मानवता की धरती

इंसान उगा दे वो खाद कहां से लाऊं।

देख रहा हूं अहसासों को बिखरते हुए

जो राहत दे वो छांव कहां से लाऊं।

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कागज की नाव इस बार रखी ही रह गई किताब के पन्नों के भीतर अबकी बारिश की जगह बादल आए और आ गई अंजाने ही आंधी। बच्चे ने नाव सहेजकर रख दी उस पर अग...