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नदी सवाल शरीर आदमियत रिश्ते भरोसे परिणाम सबक प्राण वेदना पानीदार लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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शुक्रवार, 4 जून 2021

नदी सवाल करती है











नदी

कह रही है

प्राण हैं

उसमें

जो तुम्हारे

प्राण की भांति ही

जरूरी हैं।

नदी

सवाल करती है

क्यों

मानवीयता का

चेहरा

दरक रहा है।

नदी के शरीर की

ऊपरी सतह

की दरकन

अमानवीय

आदमियत है।

गहरी

दरकन

भरोसे और रिश्ते

की चटख

का

परिणाम है।

नदी किनारे

अब

अक्सर सूखा

बैठा मिलता है

नदी

उसे भी

साथ लेकर

चलती है

समझाती है

मानवीय भरोसे

के

पुराने सबक।

नदी चाहती है

उसके

प्राण

की वेदना

पर

बात होनी चाहिए

पानीदार आंखों

की

सूखती

पंचायतों के बीच...। 

अभिव्यक्ति

 प्रेम  वहां नहीं होता जहां दो शरीर होते हैं। प्रेम वहां होता है जब शरीर मन के साथ होते हैं। प्रेम का अंकुरण मन की धरती पर होता है।  शरीर  क...