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Saturday, April 24, 2021

तुम्हारे लिए


 कुछ 

पत्ते

धूप लगे

सहेजे हैं

तुम्हारे लिए...।

कुछ 

पत्तों पर

धूप सहेजी है

तुम्हारे लिए।

कुछ छांव भी है

पत्तों के 

कोरों पर

नमक में 

लिपटी हुई

तुम्हारे लिए।

ये मौसम ही

दे पाया हूँ

जिंदगी में

तुम्हें

अब तक...। 

धूप सरीखे दिन

की 

अधिकता 

में ये पत्ते हमारा 

हौंसला हैं

और 

कोरो की छांव

हमारी उम्मीद...।

ये हमारी जिद...?

  सुना है  गिद्व खत्म हो रहे हैं गौरेया घट रही हैं कौवे नहीं हैं सोचता हूं पानी नहीं है जंगल नहीं है बारिश नहीं है मकानों के जंगल हैं  तापमा...