कुछ
पत्ते
धूप लगे
सहेजे हैं
तुम्हारे लिए...।
कुछ
पत्तों पर
धूप सहेजी है
तुम्हारे लिए।
कुछ छांव भी है
पत्तों के
कोरों पर
नमक में
लिपटी हुई
तुम्हारे लिए।
ये मौसम ही
दे पाया हूँ
जिंदगी में
तुम्हें
अब तक...।
धूप सरीखे दिन
की
अधिकता
में ये पत्ते हमारा
हौंसला हैं
और
कोरो की छांव
हमारी उम्मीद...।