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Wednesday, April 7, 2021

जब हम पनीली आंखों में मुस्कुराए


जिंदगी

का वह हरेक दिन

जब हम साथ बैठ

खिलखिलाए

गुलाब थे।

वह हरेक दिन

जब हम 

उलझनों पर 

दर्ज करते थे जीत

गुलाब थे।

वह हरेक दिन

जब

तुम और 

मैं 

हम हो गए

गुलाब थे।

वह हरेक दिन

जब हम पनीली आंखों में

मुस्कुराए

गुलाब थे।

वह हरेक दिन 

जब खुशियों में भीग गए

हमारे मन

गुलाब थे।

वह हरेक दिन

जब जब 

कठिन दिनों में

तुमने रखा कांधे पर हाथ

गुलाब थे...।

ये हमारी जिद...?

  सुना है  गिद्व खत्म हो रहे हैं गौरेया घट रही हैं कौवे नहीं हैं सोचता हूं पानी नहीं है जंगल नहीं है बारिश नहीं है मकानों के जंगल हैं  तापमा...