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Monday, October 28, 2024

पहिया सभ्यता

आदमी ने सभ्यता को

पहिये पर रख

पहुंचा दिया है

दोबारा उसके पुरातन काल में

अब पहिया 

दोबारा लौटेगा 

बिना सभ्यता के

वह 

गढना नहीं चाहता 

दोबारा पहिया सभ्यता

पहिये पर बहुत भार है

सभ्यता के खून के धब्बे भी हैं

वह युग की पीठ पर

बंधा है

पुरातन की युगों की सजा भोग रहा है

ये हमारी जिद...?

  सुना है  गिद्व खत्म हो रहे हैं गौरेया घट रही हैं कौवे नहीं हैं सोचता हूं पानी नहीं है जंगल नहीं है बारिश नहीं है मकानों के जंगल हैं  तापमा...