कहीं किसी सूखती धरा के सीने पर
कहीं किसी दरार में
कोई बीज
जीवन की जददोजहद के बीच
कुलबुलाहट में जी रहा होता है।
बारिश, हवा, धूप
के बावजूद
दरारों में बसती जिंदगी
खुले आकाश में जीना चाहती है।
कोई पौधा
जब
वृक्ष होकर देता है छांव
फल
जीवन
हवा
और बहुत कुछ।
तब उसे सार्थकता का होता है अहसास।
दरारों के बीच देखिएगा
कहीं कोई पौधा
यदि
नजर आ जाए
तो
बना दीजिएगा ठहरकर
दो पल
उसकी राह आसान।
उसके और खुले आसमान के बीच
के उस अंधेरे को
घुटन को
कम कर दीजिएगा
उस दरार को मिटाकर।