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रविवार, 15 जून 2025

जिंदगी यही तो है

बेशक तुम्हें पसंद है

इस दुनिया के रिवाजों में जीना

लेकिन

मुझे पसंद है

तुम्हारे साथ 

तुम्हारे समय और तुम्हारी उस बेफक्री में जीना

जहां 

कोई पाबंदी नहीं है

तुम हो

मैं हूं

और 

हमारा समय।

हां 

मैं विरोध करता हूं उन सभी बातों का

जो

तुम्हें और मुझे

हम कहे जाने का विरोध करती हों।

जिंदगी यही तो है

और 

इसके अलावा कोई दूसरी दुनिया भी तो नहीं।

 

समय की पीठ

 कहीं कोई खलल है कोई कुछ शोर  कहीं कोई दूर चौराहे पर फटे वस्त्रों में  चुप्पी में है।  अधनंग भागते समय  की पीठ पर  सवाल ही सवाल हैं। सोचता ह...