तुम्हारा ढहना
एक
सभ्यता के
चरमराने
और
चटखने
जैसा है।
तुम्हारे
कटकर गिरने
की आवाज़
अगली पीढ़ी
के कानों तक
दे चुकी है दस्तक।
तुम्हारे शरीर पर आरी
के जख्म
इस सदी की पीठ पर
अंकित हो चुके हैं।
तुम्हारे
न होने का आशय है
सैकड़ों
पक्षियों का बेघर हो जाना है।
बेशक तुम्हारी जगह
कोई
आलीशान मकान होगा
पर
वो घर नहीं हो पाएगा।
नींव के नीचे
तुम्हारे अवशेष
कराहते रहेंगे
सदियों तक
और
पूछेंगे सवाल
आखिर मेरा कुसूर क्या था।