Followers

Showing posts with label समय उस बचपन का अल्हड़पन जमीन रेत. Show all posts
Showing posts with label समय उस बचपन का अल्हड़पन जमीन रेत. Show all posts

Friday, November 26, 2021

समय उस बचपन का

 



कदम
कुछ
कदम
लौटना चाहते हैं
अपने पदचिन्हों पर।
उस मंजिल के इर्द गिर्द
जहां किसी ठौर
बचपन
छोड़ आए हैं।
रेत छोड़ आए हैं
जिसमें कोई
घरोंदा
था
जिसमें
रेत की दीवारों के बीच
किसी कील पर
उलझा सा रह गया
समय
उस बचपन का।
छोड़ आए हैं
जिस डगर
बचपन के मित्र
मस्ती
अल्हड़पन
और
समझदारी के पहले की
अधपकी जमीन।
छोड़ आए हैं
किताबें और बस्ता
फटे जुर्राब
जिन्हें
अक्सर
तुरपाई से
सी दिया करते थे।
छोड़ आए हैं
बहुत सा छूट गया है
स्कूल की दीवारें
गुरूजी की घूरती आंखें
और
एक उम्र...।
अब बचपन
चांद पर किसी कोने में बसे
घर सा है
जिसे
देख सकते हैं
अतीत में
छू नहीं सकते वर्तमान में।
पदचिन्हों पर
अब
बिवाइयों वाले पैर रखने से डर लगता है
कहीं
वे पिछले दिन
समा न जाएं रेत होकर
बिवाइयों में...।


ये हमारी जिद...?

  सुना है  गिद्व खत्म हो रहे हैं गौरेया घट रही हैं कौवे नहीं हैं सोचता हूं पानी नहीं है जंगल नहीं है बारिश नहीं है मकानों के जंगल हैं  तापमा...