Followers

Showing posts with label हरियाली. Show all posts
Showing posts with label हरियाली. Show all posts

Friday, February 5, 2021

गैरत की हरियाली है

 


ये 

जमीन है

और

हम हैं।

दरक दोनों 

रहे हैं।

जमीन

की दरारों

में 

गैरत की हरियाली है।

आदमी की 

दरार में 

हरियाली नहीं

गहरा सूखा है।

सूखने में 

जमीन 

का रुदन 

गहरा है।

जमीन के 

कंठ 

का हरापन

उसका हलफनामा है।

आदमी 

का हलफनामा

पीला हो चुका है।

अब सूखे और आदमी

के बीच 

जमीन नहीं है।

आदमी

पैरों नहीं चल रहा

अब जमीन नहीं है।

कागज की नाव

कागज की नाव इस बार रखी ही रह गई किताब के पन्नों के भीतर अबकी बारिश की जगह बादल आए और आ गई अंजाने ही आंधी। बच्चे ने नाव सहेजकर रख दी उस पर अग...