पलाश
पसंद है
हम दोनों को
पलाश
के रंग
हम दोनों से हैं
उसका मौसम
हमारे मन में
असंख्य
पलाश कर जाता है
अंकुरित।
हमारी वैचारिक धरा पर
पलाश बिखरा है।
भाव और शब्दों
में
पलाश की रंगत है
पलाश
में
हमारी कविता
हर
मौसम महकती है
जैसे तुम और मैं
महक उठते हैं पलाश को पाकर।
हम
उसके बिखराव और सृजन
दोनों का हिस्सा हैं।
बिखराव में
भी वह
हमें पलाश सा भाता है
खिलता
पलाश
हमें हंसाता है
बिखरा पलाश
जीवन समझाता है।
आओ
पलाश के बिखरे फूल
चुन लें
अगले मौसम की आमद तक।
भावों भरी सुंदर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी।
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 15 -03 -2021 ) को राजनीति वह अँधेरा है जिसे जीभर के आलोचा गया,कोसा गया...काश! कोई दीपक भी जलाता! (चर्चा अंक 4006) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
जी बहुत आभार आपका आदरणीय...।
Deleteवाह! बहुत सुंदर!!!
ReplyDeleteबहुत आभार आपका...।
Deleteबहुत ही सुंदर मन भावन सृजन।
ReplyDeleteभाव और शब्दों
में
पलाश की रंगत है
पलाश
में
हमारी कविता
हर
मौसम महकती है
जैसे तुम और मैं..वाह!
जी बहुत शुक्रिया अनीता जी...।
ReplyDeleteहम
ReplyDeleteउसके बिखराव और सृजन
दोनों का हिस्सा हैं।
बिखराव में
भी वह
हमें पलाश सा भाता है
खिलता
पलाश
हमें हंसाता है
बिखरा पलाश
जीवन समझाता है।
सुंदर रचना....
जी बहुत आभार आपका...।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति,सादर
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका...।
Deleteज़िन्दगी में यूँ ही पलाश खिला रहे ... अगली आमद तक के लिए चुन ही लीजिये पलाश .
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
जी बहुत आभार आपका...।
Deleteबहुत ही सुन्दर सृजन - -
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका...।
Deleteबहुत बहुत सरहनी मधुर रचना |
ReplyDeleteआलोक जी बहुत आभार...।
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