तुम्हें पसंद है
मुझमें
स्वयं को खोजना
और
मुझे पसंद है
तुम्हारे चेहरे पर नजर आना।
तुम्हें पसंद है
मेरे शब्द, भाव, गहनता
मुझे पसंद है
तुम्हारा वह
होले से आकर मुझे छू लेने वाला अहसास।
तुम्हें पसंद है
बारिश और उन बूंदों में
मेरा साथ
मुझे पसंद है
घर का दालान, बूंदें और तुम्हारे हाथों का स्पर्श।
तुम्हें पसंद है
अपने घर के दालान की मिट्टी की महक
मुझे पसंद है
तुम्हारे उस मर्म की गंध को छूते भाव।
तुम्हें पसंद है
घर के आंगन का नीम
मुझे पसंद है
तुम्हारा उस नीम को छूकर
पहली बार
मेरे मन के करीब आना।
तुम्हें पसंद है
सर्द हवा में मेरे मफलर में गर्माहट के रंग
मुझे पसंद है
तुम्हारे चेहरे का गुलाबी अपनापन।
तुम्हें पसंद है
हरीतिमा
और मुझे पसंद हो
तुम
क्योंकि
तुम और में
एक ऐसे घर को गूंथ रहे हैं
जहां
प्रकृति के अंकुरण
बहुत गहरे होंगे...।
हां
सच हमारा घर महकता है
तुम्हारी और हमारी
इन नेह की फुहारों से।
जी बहुत आभार आपका कामिनी जी...।
जवाब देंहटाएंवाह,संदीप जी, कितनी खूबसूरती से आपने मन के सुंदर भावों की लड़ियां पिरो दीं, जो एक माला बन गई।सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंआभार जिज्ञासा जी। शब्द कुछ ही गूंथ पाया... बहुत से रह गए...।
हटाएंवाह ! बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंजी बहुत आभार आपका
हटाएंवाह!सुन्दर एहसास पिरोए हैं!
जवाब देंहटाएंजी बहुत आभार आपका
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना
जवाब देंहटाएंजी बहुत आभार आपका
हटाएंखूबसूरत एहसास पढ़कर दिल खुश हो गया
जवाब देंहटाएंजी बहुत आभार आपका
हटाएंवाह!बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंपहली बरसात का एहसास लिए।
सादर
जी बहुत आभार आपका
हटाएंबहुत सुंदर प्रकृति सौंदर्य के साथ श्रृंगार रचना।
जवाब देंहटाएंजी बहुत आभार आपका
जवाब देंहटाएंक्योंकि
जवाब देंहटाएंतुम और में
एक ऐसे घर को गूंथ रहे हैं
जहां
प्रकृति के अंकुरण
बहुत गहरे होंगे...।
बहुत प्यारी अभिव्यक्ति
आपका बहुत बहुत आभारी हूं संगीता जी।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 04 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंतुम्हें पसंद है//मुझमें/स्वयं को खोजना/और /मुझे पसंद है/तुम्हारे चेहरे पर नजर आना।////
जवाब देंहटाएंक्या बात है संदीप जी ! यही भाव जोड़ता है दो मानों को और एक सुखद घरोंदे की नीव यही भाव होता है | अनुराग भरी अभिनव रचना |