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मंगलवार, 2 मार्च 2021

सांझ के दरवाजे पर


 

तुम्हें

सांझ से बतियाना पसंद है

मैं जानता हूं

तुम सांझ में खोजती हो

अपने आप को

मुझे 

और 

हमारे अपने दिनों की आभा को।

मैं 

जानता हूं 

तुम्हें सिंदूरी सांझ 

इसलिए भी पसंद है

क्योंकि वह

तुम्हें अंदर से

सिंदूरी रखती है।

यकीन मानो

हमारा सांझ के साथ

ये सिंदूरी रिश्ता

उम्र 

का सच्चा कोष है।

मैं

तुम्हें 

और 

तुम मुझे

खोज सकते हैं

सांझ के दरवाजे पर।

अलहदा कुछ नहीं है

सांझ

तुममें और मुझमें

साथ साथ

उतरती है

रोज

हर पल

हर दिन।

दरारों के बीच देखिएगा कहीं कोई पौधा

  कहीं किसी सूखती धरा के सीने पर कहीं किसी दरार में कोई बीज  जीवन की जददोजहद के बीच कुलबुलाहट में जी रहा होता है। बारिश, हवा, धूप  के बावजूद...