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शनिवार, 15 मई 2021

कांपते हाथों का दोबारा मिलना


 

उम्रदराज जीत

इतिहास लिखती है

थरथराते हाथों का दोबारा जीवन पाना

झुर्रीदार चेहरे पर 

पपड़ाए होठों को

दोबारा मुस्कुराते देखना 

इस संसार का सर्वोत्तम

सुख कहा जा सकता है। 

उम्र की थकन के बीच

एक 

शरीर को यूं बीमार होकर 

जब्त हो जाना 

अकेले

और बोझिल से माहौल के बीच

कहीं 

भयभीत करता है

उस दूसरे साथी को

जो 

उसी तरह ही झुर्रीदार उम्र

जी रहा होता है

अकेले किसी और कमरे में।

सोचियेगा 

जब ऐसे दो शरीर 

किसी

ऐसी कठोर मंजिल को पार कर

होते हैं रूबरू 

तब बहुत कुछ

चटखा हुआ दोबारा 

जुड़ने लगता है। 

उम्रदराज शरीर

प्रेम के

आध्यात्म को 

जी रहे होते हैं

वे

थके हुए हाथ जब

दोबारा होते हैं

एक दूसरे का सहारा

तब

यकीन मानिये 

दरारों से होकर 

दर्द का हर कतरा

दूसरे की दरारों में समा जाता है। 

प्रेम की इस गोधुलि बेला में 

ईश्वर मुस्कुराता है

प्रकृति खिलखिलाती है

कहीं कोई 

मयूर मन नाच उठता है।

आदमी का थका होना

और 

आदमी का उम्रदराज होना

दोनों में 

एक कहीं एक सख्त 

सच है

थका आदमी उम्र नहीं जीता

हर पल केवल 

थकता है 

रिश्तों से, बातों से, जीवन से

और 

उम्रदराज आदमी

जीता है उम्र और उसका हरेक दिन

अंतर तो है

उम्रदराज व्यक्ति

समुद्र की रेत पर खेलते 

बच्चे 

सा हो जाता है 

जिसके पैरों पर नमक

असर नहीं डालता।

जीत की परिभाषा

में शब्द

हमेशा ही उम्रदराज होकर 

मुस्कुराते हैं। 

देखे हैं आपने भी

उम्रदराज

चेहरे 

जो हाल ही

जीतकर मुस्कुरा रहे हैं

देखियेगा

कि वे

हमें

सिखा रहे हैं कि 

प्रेम 

से जीता जा सकता है

ये कालखंड

और 

इसकी सनक को। 

मानियेगा कि

प्रेम 

को चेहरा पा जाने में

एक पूरी सदी लगती है

उम्रदराज होने पर ही

प्रेम नजर आता है

थके हुए शरीरों में

पूर्णता पाता है। 

अभिव्यक्ति

 प्रेम  वहां नहीं होता जहां दो शरीर होते हैं। प्रेम वहां होता है जब शरीर मन के साथ होते हैं। प्रेम का अंकुरण मन की धरती पर होता है।  शरीर  क...