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Sunday, May 23, 2021

किताब में खोजता है एक अदद नींद




किताब के कुछ

पृष्ठ

जो मोड़ दिए

जाते हैं

अगली रात

पढ़ने के लिए।

उसमें भी कुछ शब्द

दबकर

कसमसा उठते हैं।

दबे शब्द

खामोश हैं

वे जानते हैं

पृष्ठ को मोड़ना

इंसान की मजबूरी नहीं

आदत हो गई है।

इस पर भी मैं

मानता हूँ

बदहवास मानव झूठ के

शिखर पर पूरा दिन

इतराता है।

थकी देह से

अपनी वैचारिक भूख

केवल अपने आप को

बेहतर साबित करने

लौट आता है

बिस्तर के रास्ते

किताब के लिहाफ तक।

वो

अब किताब में

ज्ञान से पहले खोजता है

एक अदद नींद।

कई जगहों से

मुड़ी किताबें

ज्ञान

रखती हैं

अभिमान नहीं।

वो थके व्यक्ति को

शब्दों की थाप देकर

सुला देती है

इस उम्मीद से

कि कोई भोर होगी

जब व्यक्ति

अपने अंदर से जागेगा

बदहवास दौड़ को

पीछे छोड़...।

किताबें

शब्दों में हमारी

समझ की

तस्वीर भी हैं..।


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(आर्ट... आदरणीय बैजनाथ सराफ जी, खंडवा, मप्र का है, वे ख्यात आर्टिस्ट हैं, उन्हें कलाक्षेत्र के अनेक ख्यात सम्मानों से नवाजा गया है। )

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