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शनिवार, 28 जून 2025

काश कोई बूंद जी पाती एक सदी



बारिश की बूंदों पर 

लिखी हैं

अनेक उम्मीदें

पर्व

खुशियां

जीवन

सहजता

जीवन का दर्शन

और 

प्रेयसी का इंतजार। 

बूंदों को भी क्या हासिल

एक पल का जीवन

हजार ख्वाहिशों पर 

हर बार कुर्बान। 

काश कोई बूंद

जी पाती

एक सदी

ठहर पाती एक पूरी उम्र

देख पाती

क्या बदल जाता है उसके उस एक पल में।

फांस

 शब्द और उसकी कोरों के बीच भाव कहीं उलझे रह जाते हैं अक्सर। एक उम्र तक एक सदी तक। कोई नहीं सुलझाता उन्हें कोई नहीं खोलना चाहता  उन उलझी गांठ...