Followers

Showing posts with label सूरज. Show all posts
Showing posts with label सूरज. Show all posts

Friday, December 2, 2022

सीलन


सर्द दिनों में 
मन भी 
ठिठुरता है
और पेड़ों से लिपट 
पूरी रात ओस में भीगता है।
सुबह सूर्य 
के आगमन पर
ओटले 
पर बैठ सुखाता है 
बीते दिनों की 
सीलन को। 
सुबह सूरज चढ़ते ही
शब्द हो जाता है
मन ही तो है
कभी कुछ नहीं कहता
केवल सुनता है
सच की शेष गाथाएं।


 

कागज की नाव

कागज की नाव इस बार रखी ही रह गई किताब के पन्नों के भीतर अबकी बारिश की जगह बादल आए और आ गई अंजाने ही आंधी। बच्चे ने नाव सहेजकर रख दी उस पर अग...