कागज की नाव
इस बार
रखी ही रह गई
किताब के पन्नों के भीतर
अबकी
बारिश की जगह बादल आए
और
आ गई अंजाने ही आंधी।
बच्चे ने नाव
सहेजकर रख दी
उस पर अगले वर्ष की तिथि लिखकर
जो उसे
पिता ने बताई
यह कहते हुए
काश कि
अगली बारिश जरुर हो।
कविताएं मन तक टहल आती हैं, शब्दों को पीठ पर बैठाए वो दूर तक सफर करना चाहती हैं हमारे हरेपन में जीकर मुस्कुराती हैं कोई ठोर ठहरती हैं और किसी दालान बूंदों संग नहाती है। शब्दों के रंग बहुतेरे हैं बस उन्हें जीना सीख जाईये...कविता यही कहती है।
कागज की नाव
इस बार
रखी ही रह गई
किताब के पन्नों के भीतर
अबकी
बारिश की जगह बादल आए
और
आ गई अंजाने ही आंधी।
बच्चे ने नाव
सहेजकर रख दी
उस पर अगले वर्ष की तिथि लिखकर
जो उसे
पिता ने बताई
यह कहते हुए
काश कि
अगली बारिश जरुर हो।
कागज की नाव इस बार रखी ही रह गई किताब के पन्नों के भीतर अबकी बारिश की जगह बादल आए और आ गई अंजाने ही आंधी। बच्चे ने नाव सहेजकर रख दी उस पर अग...