फ़ॉलोअर

the rain poem लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
the rain poem लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 10 सितंबर 2023

ताकि बारिश होती रहे



रिसता रहा 
कच्चा घर 
टपकती रही
छत 
वह बचाती रही 
सोते हुए बच्चों को
ढांकती रही 
घर का जरूरी सामान
भीग चुकी चादर मोड़कर 
लगाती रही पोंछा
चूल्हे के ऊपर बांध दी तिरपाल
बचाती रही 
घर की दीवार पर टंकी
यादों को
बच्चों की किताबों को
घर में रखे मुट्ठी भर राशन को
घर की ओर झुकती दीवार पर 
देती रही भारी सामान का टेका
कवेलूओं को लाठी से खिसकाकर
रोकती रही 
घर का खतरा
जद्दोजहद के बाद
घर के दरवाजे
खोल 
थकी सी बाहर निकली
झुककर किया 
बारिश को प्रणाम
कहा 
खूब बरसो 
ताकि फल फूल सके धरती,जीव और इंसान...

तो जिंदगी आसान है

 जीने के लिए  कोई खास हुनर नहीं चाहिए इस दौर में केवल हर रोज हर पल हजार बार मर सकते हो ? लाख बार धक्का खाकर उस कतार से बाहर और आखिरी तक पहुं...