कविताएं मन तक टहल आती हैं, शब्दों को पीठ पर बैठाए वो दूर तक सफर करना चाहती हैं हमारे हरेपन में जीकर मुस्कुराती हैं कोई ठोर ठहरती हैं और किसी दालान बूंदों संग नहाती है। शब्दों के रंग बहुतेरे हैं बस उन्हें जीना सीख जाईये...कविता यही कहती है।
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Sunday, September 10, 2023
ताकि बारिश होती रहे
Thursday, August 31, 2023
हजार दरकन, योजन सूखा
नदी
से रिश्ता
अब
सूख गया है
या
नदी के साथ
बारिश के दिनों वाले
मटमैले पानी के साथ
बहकर
समुद्र के पानी में मिलकर
खारा हो गया है।
नदी से रिश्ते में देखे जा सकते हैं
हजार दरकन
और
योजन सूखा।
एक दिन
रिश्ते के बेहतर होने की आस ढोती हुई नदी
समा जाएगी
हमेशा के लिए पाताल में।
नदी
और
हमारे रिश्ते में
अब भी
उम्मीद की नमी है
चाहें तो
बो लें कुछ अपनापन
रिश्ता
और बहुत सी नदी।
Sunday, August 27, 2023
बचपन की घड़ी
Friday, August 25, 2023
हां नदी अंदर से नहीं पढ़ी गई
Thursday, August 24, 2023
हां, उम्रदराज़ पिता ऐसे ही तो होते हैं
Tuesday, August 22, 2023
बारिश की उम्मीद
अबकी बारिश
तुम अबकी बारिश
आ जाना
बीती कई बारिश
केवल
तुम्हारे खत आ रहे हैं
उन्हें सीलन से बचाते हुए
मैं
तुम्हें देखना चाहता हूं
उन खतों के आसपास।
उन खतों में आखर
अब पीले होने लगे है।
ये हमारी जिद...?
सुना है गिद्व खत्म हो रहे हैं गौरेया घट रही हैं कौवे नहीं हैं सोचता हूं पानी नहीं है जंगल नहीं है बारिश नहीं है मकानों के जंगल हैं तापमा...
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नदियां इन दिनों झेल रही हैं ताने और उलाहने। शहरों में नदियों का प्रवेश नागवार है मानव को क्योंकि वह नहीं चाहता अपने जीवन में अपने जीवन ...
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कागज की नाव इस बार रखी ही रह गई किताब के पन्नों के भीतर अबकी बारिश की जगह बादल आए और आ गई अंजाने ही आंधी। बच्चे ने नाव सहेजकर रख दी उस पर अग...
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यूं रेत पर बैठा था अकेला कुछ विचार थे, कुछ कंकर उस रेत पर। सजाता चला गया रेत पर कंकर देखा तो बेटी तैयार हो गई उसकी छवि पूरी होते ही ...