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शनिवार, 28 जून 2025

काश कोई बूंद जी पाती एक सदी



बारिश की बूंदों पर 

लिखी हैं

अनेक उम्मीदें

पर्व

खुशियां

जीवन

सहजता

जीवन का दर्शन

और 

प्रेयसी का इंतजार। 

बूंदों को भी क्या हासिल

एक पल का जीवन

हजार ख्वाहिशों पर 

हर बार कुर्बान। 

काश कोई बूंद

जी पाती

एक सदी

ठहर पाती एक पूरी उम्र

देख पाती

क्या बदल जाता है उसके उस एक पल में।

7 टिप्‍पणियां:

  1. एक बूँद भी जीवित रहती है अनंत काल तक केवल रूप बदल जाता है उसका

    जवाब देंहटाएं
  2. आभार आपका अनिता जी। सच कहा आपने...बस स्वरुप बदल जाता है।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 6 जुलाई 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. इस नश्वर संसार में सबका समय निश्चित है,,
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

अभिव्यक्ति

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