कविताएं मन तक टहल आती हैं, शब्दों को पीठ पर बैठाए वो दूर तक सफर करना चाहती हैं हमारे हरेपन में जीकर मुस्कुराती हैं कोई ठोर ठहरती हैं और किसी दालान बूंदों संग नहाती है। शब्दों के रंग बहुतेरे हैं बस उन्हें जीना सीख जाईये...कविता यही कहती है।
पेज
▼
पुरवाई
▼
poem in hindi लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
poem in hindi लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सोमवार, 27 नवंबर 2023
शनिवार, 7 अक्टूबर 2023
शनिवार, 23 सितंबर 2023
गुरुवार, 14 सितंबर 2023
रविवार, 10 सितंबर 2023
गुरुवार, 31 अगस्त 2023
रविवार, 27 अगस्त 2023
शुक्रवार, 25 अगस्त 2023